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Deflation क्या है | Deflation के परिभाषा, कारण और प्रभाव क्या है

आप भी यह शब्द जरूर सुने होंगे Deflation और आप सोच रहे होंगे कि इन शब्दों का मतलब क्या होता है, आज हम आपको विस्तार से बताएं Deflation के परिभाषा, कारण और प्रभाव साधारण शब्दों में बताने जा रहे है ताकि आपको अच्छे से समझ में आ सके। इसको समझाना सभी के जरुरी है।

what is deflation

Deflation से जुड़े सवाल

इसकी आम परिभाषा जो है वह तो हर किसी को पता होता है परंतु उसे समझना बहुत ही कठिन है। वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में एक साधारण गिरावट जो अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति और क्रेडिट में संकुचन से जुड़ी होती है उसको Deflation कहते है। परंतु फिर भी आप कंफ्यूज रहते होंगे कि Deflation क्या चीज है क्या होता कैसे है। इसका नौबत क्यों आती है। Deflation आने पर क्या प्रभाव पड़ता है। आपके मन में न जाने और कितने सवाल बन रहा होगा जिसे आप जानना चाहते होंगे। आज हम आपको सही और साधारण भाषा में परिभाषित कर के समझा देंगे ताकि आप समझ सके। 

Deflation क्या है 

Deflation को हिंदी में अपस्फीति भी कहते है।

परिभाषा – मुद्रा की मांग पूर्ति से अधिक हो जाता है। वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में एक लगातार गिरावट जो आम तौर पर अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति और क्रेडिट में संकुचन से जुड़ी होती है। 

विस्तार जानकारी – जब कोई कंपनी कोई वस्तु बनाता है उसके वस्तु बनाने के कीमत के साथ वस्तु की लाभ का कीमत नहीं मिल पाता है। यानी कि कोई कंपनी है वह एक प्रोडक्ट्स बनाया उस प्रोडक्ट को बनाने में ₹500 खर्च हुए कंपनी उस  प्रोडक्ट को ₹700 में बेचेगा तो कंपनी मुनाफा मूल्य मिल पाएगा। लेकिन बाजार में लोग इस प्रोडक्ट को ₹530 में खरीदी को तैयार है उससे ज्यादा पैसा नहीं दे सकता है तो ऐसी स्थिति में कंपनी अपस्फीति में जाती है। 

कंपनी का अपस्फीति में जाने का कारण होता है की  कंपनी को अपने उत्पाद वस्तु से उसको मुनाफा का मूल्य बाजार से मिलेगा। यानी की कंपनी की इनकम कम हो जाती है। कंपनी को सामान्य लाभ वस्तु का नहीं मिल पाता है जिस कारण कंपनी प्रॉफिट सही नहीं बन पाता है। इसका कंपनी पर बहुत बुरा असर पड़ता है जिससे कई चीजें प्रभावित होती है।

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Deflation (अपस्फीति) के प्रभाव

अपस्फीति का कंपनी पर बहुत बुरा प्रभाव होता है और कई तरीकों से प्रभावित होती है। ऐसी स्थिति में कंपनी, कंपनी के श्रमिकों, तथा अन्य कई वर्ग, भी प्रभावित हो जाते है। हम आपको नीचे कुछ प्रभाव बताने जा रहे है। 

कंपनी का लाभ 

इस स्थिति में कंपनी का लाभ न के बराबर हो जाता है क्योंकि कंपनी जिस वस्तु का उत्पादन कर रहा है उसे वास्तु का लाभ की कीमत कंपनी को नहीं मिल पाता है जिस कारण से कंपनी का लाभ स्तर काफी नीचे चला जाता है।

पूंजी का स्थिति

कंपनी के पूंजी की स्थिति में भी बहुत बड़ा असर देखने को मिलता है जब कंपनी लाभ नहीं काम आएगा तो कंपनी का पूजा भी डगमग आएगा। साधारण शब्दों में समझिए अगर कंपनी प्रॉफिट नहीं कमाएगा तो कंपनी अपनी पूंजी यानी की कंपनी बनाने की लागत को भी बचाने में असमर्थ हो जाएगा।

कंपनी पर ऋण 

जब कंपनी पर Deflation का खतरा बढ़ जाता है तो कंपनी को ऋण भी लेना पड़ता है अपने व्यापार को बरकरार रखने के लिए और कंपनी बाजार से और बैंकों से ऋण लेना शुरू कर देता है। कंपनी पर इतना अधिक हो जाता है कि कंपनी अपना  ऋण नहीं चुकाने पर अपने व्यापार और उत्पादन दोनों को क्षति पहुंचाता है।

सरकार के टैक्स का प्रभाव

कंपनी का मुनाफा हो या नहीं हो पर सरकार को टैक्स देना पड़ता है और सरकार को टैक्स सही समय पर न चुकाने से सरकारी कार्यवाही भी कंपनी के ऊपर आ जाता है। सरकार को अगर कंपनी सही समय पर टैक्स नहीं देता है तो सरकार उसको पेनल्टी के साथ-साथ कर चोरी करने के कारण आयकर विभाग सरकारी कार्यवाही भी करता है।

श्रमिकों का वेतन

जब कंपनी लाभ नहीं हो रहा है तो  वह सही समय पर अपने श्रमिकों को वेतन नहीं देगा। जब समय पर श्रमिकों को वेतन नहीं मिलेंगे तो श्रमिक उस कंपनी में छोड़ने की स्थिति में आ जाएंगे कोई भी श्रमिक उस कंपनी में काम करना नहीं चाहेगा। क्योंकि कंपनी लाभ नहीं कमा पाती है और समय पर श्रमिकों का वेतन नहीं दे पाता है।

बेरोजगारी का स्थिति

जब कंपनियां Deflation में जाना शुरू होता है तो बेरोजगारी का भी बहुत बड़ा स्थिति संकट आ जाता है। कंपनियां अपने श्रमिकों को कम करने लगता है। अपने श्रमिकों को कंपनी से बाहर का रास्ता दिखाना शुरू कर देता है क्योंकि कंपनी की स्थिति सही नहीं होने के कारण कंपनी अधिक श्रमिकों को नहीं रख सकता है। कंपनी की स्थिति खराब होने के कारण कंपनी अपने श्रमिकों को रोजगार से निकालना शुरू कर देती है जिस कारण से बहुत बड़ी मात्रा में बेरोजगारी बढ़ना शुरु हो जाता है। 

कंपनी की आर्थिक स्थिति 

कंपनी और श्रमिकों दोनों की स्थिति काफी दयनीय हो जाता है। कंपनी को लाभ नहीं मिलने के कारण कंपनी की स्थिति काफी खराब हो जाती है और कंपनी बंद होने के कगार पर खड़ा हो जाता है। जब कंपनी को लाभ भी नहीं होगा तो कंपनी बंद होना आम बात है। क्योंकि कोई भी कंपनी का मालिक चाहेगा वह अधिक से अधिक लाभ कमाएं।

श्रमिकों का आर्थिक स्थिति 

 कंपनी अपने श्रमिकों (स्टाफ) को कम वेतन पर रखना शुरू कर देता है। श्रमिकों को कम वेतन मिलने पर उनकी जरूरतें पूरी नहीं हो पाती है। श्रमिकों का स्थिति काफी खराब हो जाता है। दूसरी स्थिति में श्रमिकों (स्टाफ) को सही समय पर वेतन भी नहीं दे पाता जिस कारण से श्रमिकों का स्थिति पर  बहुत बुरा प्रभाव पडता है।

व्यापारी वर्ग

इस स्थिति में जितने भी व्यापारी हैं चाहे वह खुदरा विक्रेता, थोक विक्रेता, डायरेक्ट सेल, हो सभी वर्ग के व्यापारी प्रभावित हो जाते है। कंपनी से उन्हें लाभ हो रहा था सभी वर्ग को हानि होना शुरू हो जाता है।

आयात और निर्यात

आयात निर्यात पर भी बहुत बड़ा असर देखने को मिलता है। उत्पाद की मांग बहुत कम हो जाता है और आयात निर्यात में भी भारी गिरावट देखने को मिलता है।

अपस्फीति होने के कारण

वस्तु की गुणवत्ता

कंपनी जो अपना वस्तु उत्पाद करता है प्रोडक्ट की गुणवत्ता में कमी होने के कारण भी डिफलेक्शन की नौबत आ जाती है अगर प्रोडक्ट में कमी है और सामने कोई Competitor कंपनी इससे अच्छा प्रोडक्ट उसी कीमत पर उत्पादन कर रहा है। तो किसी पहला कंपनी अपस्फीति का  नौबत आ सकता है।

ग्राहकों का ख्याल

वस्तु उत्पाद की वृद्धि में कमी भी Deflation होने के कारण बन सकता है। आपको वस्तु उत्पादन के साथ-साथ ग्राहकों का भी ख्याल रखना होता है। आपको यह देखना होता है कि वस्तु के उत्पादन में समय के साथ क्या वृद्धि किया जाए जिससे ग्राहक खुश रहे। वस्तु में ग्राहकों की क्या मांग बढ़ रही है ग्राहकों की जो मांग बढ़ती है वह मांग आपको अपने वास्तु के उत्पादन में भी बढ़ना होगा। 

3 महीने लगातार गिरावट

आने वाली आर्थिक संकट को मापने का सबसे पुराना तर्क यह है कि अगर आपके व्यापार में 3 महीने लगातार कंपनी के मुनाफे, वस्तु उत्पादन, और वस्तु की वृद्धि, में गिरावट हो रहा है तो आप पर आर्थिक मंदी की संकट आ सकता है।

बैंक की दरों में वृद्धि

जब भी बैंक की दरों में वृद्धि होती है। तब किसी भी व्यापारी या कंपनी के लिए एक मुश्किल आ जाता है जिसका सामना करना एक बहुत बड़ी चुनौती होता है क्योंकि व्यापार बैंक से डायरेक्ट जुड़ी हुई चीजें होती है। बैंक की दरों में वृद्धि होने से भी कंपनी पर असर पड़ता  है।

सरकार की कर में वृद्धि

सरकार की कर में वृद्धि करके अधिक मात्रा में मुद्रा अपने पास एकत्रित कर लेती है और मुद्रा का चलन काम हो जाता है।

People Ask 

अपस्फीति का क्या अर्थ है?

वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में एक लगातार गिरावट की स्थिति को अपस्फीति कहा जाता है

मुद्रास्फीति और अपस्फीति में अंतर क्या है?

मुद्रास्फीति में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में  वृद्धि होता है और अपस्फीति में वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में एक लगातार गिरावट होता है। 

अपस्फीति को कैसे मापा जाता है?

जब वस्तु में मूल्य में गिरावट आना शुरू होता है 

अपस्फीति एक समस्या क्यों है?

इसमें वस्तु का मूल्य उत्पादन से भी कम हो जाता है। इसका उत्पाद पर बहुत बुरा असर पड़ता है। 

अपस्फीति के दौरान ब्याज दरों का क्या होता है?

अपस्फीति ब्याज दरों में वृद्धि होता है। 

 

आशा करता हूँ की आपको सही जानकारी मिला होगा। अगर आपके मन में फिर भी कोई सवाल है तो आप मुझे कमेंट कर सकते है।

धयवाद,